Rice crop
धान (Rice) भारत और पूरी एशिया की सबसे प्रमुख खरीफ फसल है, जिससे हमें चावल मिलता है—यह करोड़ों लोगों का मुख्य आहार है। धान का वैज्ञानिक नाम ओराय्ज़ा सैटिवा (Oryza sativa) है और इसके बीज को चावल कहा जाता है, जिसे धान से छिलका उतारने के बाद प्राप्त किया जाता है।
धान की खेती की मुख्य बातें
मौसम और जलवायु: धान को गर्म जलवायु, अधिक नमी और लंबे समय तक धूप की जरूरत होती है। फसल की पूरी अवधि में औसतन 21 से 42°C तापमान एवं 100 सेमी से ज्यादा वार्षिक बारिश चाहिए। जहाँ बारिश कम हो, वहाँ सिंचाई से धान की खेती की जाती है।
मिट्टी: धान की खेती दोमट, चिकनी या मध्यम काली मिट्टी (जिसमें पानी रुक सके) में अच्छी होती है। यह अम्लीय और क्षारीय दोनों तरह की मिट्टी में उग सकता है।
पानी की जरूरत: धान को बुवाई के समय खेत में 10-12 सेमी पानी भरा होना चाहिए। पूरी फसल अवधि में खेत में पानी भरा रहना आवश्यक है।
बुवाई का समय: राजस्थान सहित उत्तर भारत में धान की बुवाई जून-जुलाई (असाढ़-सावन) में की जाती है और कटाई अक्टूबर-नवंबर में होती है। इसे अधिकतर खरीफ की फसल माना जाता है, लेकिन सिंचाई होने पर आजकल रबी और जायद (गर्मियों) में भी उगाया जा रहा है।
उन्नत किस्में: भारत में बासमती, पूसा बासमती, सोना मसूरी, पोन्नी, दुबराज, बिरसा धान, एमटीयू 7029 आदि उन्नत किस्में लोकप्रिय हैं, जिनकी उपज और गुणवत्ता अलग-अलग होती है।
रोपाई: धान की खेती में मुख्यतः रोपनी विधि (नर्सरी में पौध तैयार करके खेत में रोपाई) का इस्तेमाल होता है, लेकिन अब सीधी बुआई यानी एरोबिक राइस जैसी नई तकनीक भी चलन में आ रही है, जिसमें पानी की खपत कम होती है।
श्रम: धान की खेती श्रम प्रधान है, खासकर रोपाई और कटाई में।
रोग और कीट: झुलसा रोग, बैक्टीरियल ब्लाइट, तना छेदक, बालों की सुंडी आदि मुख्य समस्याएँ हैं।
उपज: अच्छे प्रबंधन से 25-30 क्विंटल/एकड़ तक उपज ली जा सकती है, जिसमें किस्म और खेत की स्थिति के अनुसार अंतर होता है।
चावल का स्थानीय महत्व
राजस्थान सहित उत्तर भारत में धान मुख्यतः खरीफ की फसल है
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